विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई। उसी का हवाला देते हुए सोमवार को बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर जमकर हमला बोला। बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि कोविड की वजह से दिल्ली में मृत्यु दर देश के मुकाबले 5 गुना ज्यादा रही। आखिर इसके पीछे क्या वजह है? इतनी अधिक मौतों का जिम्मेदार कौन है? दिल्ली सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को कम करके दिखाने की साजिश करने, आर्थिक सहायता और मुआवजा देने के मामले में भी राजनीति करते हुए कोरोना योद्धाओं के साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया। बीजेपी ने मांग की है कि दिल्ली सरकार कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी करे। उनके लिए पेंशन और उनके बच्चों के स्कूल-कॉलेज की फीस भरने की जिम्मेदारी भी ले।
सोमवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता, साउथ दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी और विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कोरोना से हुई मौतों के मामले को उठाते हुए दिल्ली सरकार को अलग-अलग मुद्दों पर घेरा। बीजेपी नेताओं ने कहा कि वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाओं का हवाला देते-देते केजरीवाल सरकार ने दिल्ली को कोरोना से मृत्यु दर के मामले में प्रति 10 लाख की सूची में बाकी राज्यों से सबसे ऊपर लाकर खड़ा कर दिया। सरकार ने कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को भी लगातार छुपाया। टीकाकरण हो या टेस्टिंग या फिर ट्रीटमेंट, सभी में दिल्ली सरकार फेल रही है। बीजेपी नेताओं ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वर्तमान में 10 लाख की आबादी पर मृत्यु दर विश्व में 455 और भारत में 234 है। वहीं 30 मई 2021 तक के आंकड़ों को देखें, तो दिल्ली में मृत्य दर 1207 है, जो देश और दुनिया से कहीं अधिक है। 30 मई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में कोविड केस फैटेलिटी रेट 1.69 प्रतिशत है, जबकि ओडिशा में 0.35 प्रतिशत, केरल में 0.33 प्रतिशत और बिहार में 0.13 प्रतिशत है। 30 मई को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, अब तक दिल्ली में 24,151 मौत हो चुकी हैं। बीजेपी नेताओं ने कहा कि केजरीवाल के शासनकाल में 44,262 करोड़ रुपये के हेल्थ बजट के बावजूद अगर दिल्ली का हेल्थ सिस्टम इतना लचर है, तो फिर दिल्ली में हुई सबसे ज्यादा मौतों के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार कैसे न ठहराया जाए।
दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई। उसी का हवाला देते हुए सोमवार को बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर जमकर हमला बोला। बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि कोविड की वजह से दिल्ली में मृत्यु दर देश के मुकाबले 5 गुना ज्यादा रही। आखिर इसके पीछे क्या वजह है? इतनी अधिक मौतों का जिम्मेदार कौन है? दिल्ली सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को कम करके दिखाने की साजिश करने, आर्थिक सहायता और मुआवजा देने के मामले में भी राजनीति करते हुए कोरोना योद्धाओं के साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया। बीजेपी ने मांग की है कि दिल्ली सरकार कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी करे। उनके लिए पेंशन और उनके बच्चों के स्कूल-कॉलेज की फीस भरने की जिम्मेदारी भी ले।
सोमवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता, साउथ दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी और विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कोरोना से हुई मौतों के मामले को उठाते हुए दिल्ली सरकार को अलग-अलग मुद्दों पर घेरा। बीजेपी नेताओं ने कहा कि वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाओं का हवाला देते-देते केजरीवाल सरकार ने दिल्ली को कोरोना से मृत्यु दर के मामले में प्रति 10 लाख की सूची में बाकी राज्यों से सबसे ऊपर लाकर खड़ा कर दिया। सरकार ने कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को भी लगातार छुपाया। टीकाकरण हो या टेस्टिंग या फिर ट्रीटमेंट, सभी में दिल्ली सरकार फेल रही है। बीजेपी नेताओं ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वर्तमान में 10 लाख की आबादी पर मृत्यु दर विश्व में 455 और भारत में 234 है। वहीं 30 मई 2021 तक के आंकड़ों को देखें, तो दिल्ली में मृत्य दर 1207 है, जो देश और दुनिया से कहीं अधिक है। 30 मई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में कोविड केस फैटेलिटी रेट 1.69 प्रतिशत है, जबकि ओडिशा में 0.35 प्रतिशत, केरल में 0.33 प्रतिशत और बिहार में 0.13 प्रतिशत है। 30 मई को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, अब तक दिल्ली में 24,151 मौत हो चुकी हैं। बीजेपी नेताओं ने कहा कि केजरीवाल के शासनकाल में 44,262 करोड़ रुपये के हेल्थ बजट के बावजूद अगर दिल्ली का हेल्थ सिस्टम इतना लचर है, तो फिर दिल्ली में हुई सबसे ज्यादा मौतों के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार कैसे न ठहराया जाए।
आंकड़ों का खेल
बीजेपी नेताओं ने एमसीडी के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह भी बताया कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह में एक दिन में 700 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार अलग-अलग श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में किया गया। हालांकि दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में एक दिन में अधिकतम मौत 450 से ज्यादा नहीं हुईं। आंकड़े बताते हैं कि 1 अप्रैल से 17 मई के बीच दिल्ली के तीनों नगर निगमों में स्थित श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में 16,593 शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हुआ है, जबकि इस दौरान केजरीवाल सरकार ने मात्र 11,061 लोगों की मौत के आंकड़े जारी किए। इसका मतलब साफ है कि केजरीवाल सरकार ने झूठी वाहवाही बंटोरने के लिए कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को कम करके दिखाया।